दिल्ली: पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में श्रद्धा के साथ मनाए जाने वाले छठ महापर्व की तैयारियां दिल्ली में शुरू हो गई है। पर्व की लोकप्रियता देश की राजधानी दिल्ली और फरीदाबाद में भी हर साल की तरह इस साल भी देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां छठ पूजा के लिए यमुना घाटों को तैयार किया जा रहा है वहीं, पूजन सामग्री के लिए बाजार भी सज गए हैं।
व्रतियों ने भी इस पर्व की तैयारी शुरू कर दी है। बृहस्पतिवार को यह व्रत नहाए-खाय के साथ शुरू होगा। घरों में व्रती इसकी तैयारी में जुटे हुए है। इस पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ, खजूर होता है जो आटे का बनता है। इसके लिए भी व्रतियों ने तैयारी शुरू कर दी है।
दिवाली की सफाई के बाद छठ व्रत के लिए घरों की भी सफाई हुई, ताकि पूजन सामग्री का भंडारण किया जा सके। पूजा सामग्री के लिए नए बर्तन भी खरीदे जा रहे हैं। साड़ियों की दुकानों पर भी रौनक है, व्रती नई साड़ी पहनकर ही अस्तांचल सूर्य व उदय होते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
पूजन सामग्री की बात करें तो पूर्वी दिल्ली इलाके में खासतौर से प्रसाद के लिए बाजार सजे हुए हैं। कोशी, पीतल का सूप, बांस का सूप, दउरा, केला, संतरा, अनार, सेब, पानी फल, गागल, पानी वाला नारियल, गन्ना, कच्ची हल्दी, मूली, अदरक, सूथनी आदि की दुकानें भी जगह-जगह लगी हुई हैं।
सजाए जा रहे हैं घाट
दिल्ली में यमुना के किनारे बड़ी संख्या में छठ व्रती शाम का अर्घ्य देने घाट पर पहुंचते हैं। इसे लेकर खास तैयारी चल रही है। छठ पूजा के लिए घाट पर लकड़ी की बाड़ लगाने के साथ ही जिस घाट पर सीमेंट की सीढ़ियां नहीं हैं वहां मिट्टी को ही काटकर सीढ़ियां बनाई जा रही हैं, ताकि यमुना के तट पर व्रत रखने वाली महिलाओं की पूजा करते समय किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। घाटों पर नजर रखने के लए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
सूर्य देव की उपासना का पर्व
छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व है। चार दिनों तक यह पर्व चलता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की खष्ठी को छठ पूजा अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देकर की जाती है। इस बार छठ महापर्व 31 अक्तूबर को नहाय-खाय से शुरू हो रहा है।
भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे दुनिया के कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। व्रती दो दिनों तक निर्जला रहते हैं। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को यह व्रत आरंभ हो रहा है। दूसरे दिन खरना होगा। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद व्रती अपने हाथों से बनाएंगे। मुख्य प्रसाद ठेकुआ, टिकरी बनाया जाएगा। खष्ठी को व्रती अस्तांचल सूर्य को तालाब, नदी के घाट के किनारे अर्घ्य देंगे। सप्तमी को प्रात: सूर्योदय के समय अर्घ्य देंगे व विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित किया जाएगा।
शहरी कल्चर बढ़ा तो सीमेंट के छोटे तालाब में भी होने लगी पूजा
शहरी कल्चर बढ़ने के साथ राजधानी में छोटे-छोटे सीमेंटेड तालाब बन गए हैं। सोसाइटी, अपार्टमेंट, आवासीय परिसर में भी छोटे-छोटे तालाब बनाए गए हैं, जिन्हें नदी घाट की तरह सजाया जा रहा है।
यहां व्रती शाम को पानी में सूप लेकर खड़ी होंगी और अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देंगी।
घरों की छत पर भी पूजा-अर्चना
दिल्ली के कई इलाकों में व्रती यमुना किनारे छठ घाट पर नहीं पहुंचकर अपने घरों की छत पर हौज बनाकर उनमें पानी भरकर छोटे-छोटे समूहों में छठ पूजा करते हैं। कई इलाकों में छतों को भी केला के पत्ते से खासतौर पर सजाया गया है। प्लास्टिक व रबर के बड़े हौजनुमा ट्यूब भी इस मकसद से बाजार में बिक रहे हैं।
चार दिन की पूजा
-31 अक्तूबर को नहाय खाय के साथ पूजा शुरू होगी।
-1 नवंबर को खरना होगा।
-2 नवंबर को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
-3 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।